THE MUSLIM WOMEN (PROTECTION OF RIGHTS ON MARRIAGE) ACT, 2019
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019
ACT NO. 20 OF 2019
PRESIDENT ASSENT: 31 JULY, 2019
1. संक्षिप्त शीर्षक, विस्तार और प्रारंभ।
(1) इस अधिनियम को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 कहा जाएगा।
(2) यह अधिनियम सम्पूर्ण भारत पर लागू होगा।
(3) यह 19 सितम्बर, 2018 से प्रभावी माना जाएगा।
2. परिभाषाएँ।
इस अधिनियम में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,—
(a) “इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म” का वही अर्थ होगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का अधिनियम 21) की धारा 2(1)(r) में दिया गया है।
(b) “मजिस्ट्रेट” का अर्थ है प्रथम श्रेणी का न्यायिक मजिस्ट्रेट, जो दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का अधिनियम 2) के तहत उस क्षेत्र में अधिकारिता का प्रयोग करता है जहां विवाहित मुस्लिम महिला निवास करती है।
(c) “तलाक” का अर्थ है तलाक-ए-बिद्दत या तलाक का कोई अन्य ऐसा समान रूप, जो मुस्लिम पति द्वारा तात्कालिक और अपरिवर्तनीय (immediate and irrevocable) तलाक के रूप में घोषित किया गया हो।
3. तलाक अमान्य एवं अवैध होगा।
यदि कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को—
- शब्दों द्वारा,
- चाहे मौखिक रूप से,
- या लिखित रूप से,
- या इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में,
- या किसी भी अन्य तरीके से—
तलाक देता है, तो वह शून्य (Void) और अवैध (Illegal) होगा।
4. तलाक कहने पर सजा।
जो भी मुस्लिम पति अपनी पत्नी को धारा 3 के अनुसार तलाक देगा, वह—
- तीन वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है,
- और उस पर जुर्माना (Fine) भी लगाया जा सकता है।
5. निर्वाह भत्ता (Subsistence Allowance)
किसी अन्य कानून में निहित किसी भी प्रावधान के होते हुए भी,
यदि किसी विवाहित मुस्लिम महिला को उसके पति द्वारा तलाक घोषित किया गया है,
तो वह अपने पति से,
- अपने स्वयं के और
- अपने आश्रित बच्चों के लिए—
निर्वाह भत्ते (Subsistence Allowance) की वह राशि प्राप्त करने की हकदार होगी,
जो मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित की जाएगी।
6. नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा (Custody of Minor Children)।
किसी अन्य लागू कानून के प्रावधानों के बावजूद,
यदि किसी विवाहित मुस्लिम महिला को उसके पति द्वारा तलाक दिया गया है,
तो वह—
- अपने नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा (Custody) का अधिकार प्राप्त करेगी,
- और इस संबंध में निर्णय मजिस्ट्रेट द्वारा निर्धारित तरीके से लिया जाएगा।
7. अपराध का संज्ञेय (Cognizable), समझौतावादी (Compoundable) होना आदि।
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के प्रावधानों के बावजूद:
(a) इस अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध संज्ञेय (Cognizable) होगा, यदि—
- अपराध के किए जाने की सूचना उस विवाहित मुस्लिम महिला द्वारा या
- उसके रक्त या विवाह संबंधी किसी व्यक्ति द्वारा
- पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को दी जाती है।
(b) इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध—
- उस विवाहित मुस्लिम महिला के कहने पर,
- और मजिस्ट्रेट की अनुमति से,
- निर्धारित शर्तों पर,
समझौतावादी (Compoundable) होगा।
(c) आरोपी व्यक्ति को—
- तब तक जमानत (Bail) नहीं दी जाएगी,
- जब तक कि मजिस्ट्रेट, आरोपी के आवेदन पर,
- और विवाहित मुस्लिम महिला को सुनने के बाद,
- यह संतुष्ट न हो जाए कि जमानत देने के उचित आधार मौजूद हैं।
8. निरसन (Repeal) और बचाव (Savings)।
(अ) मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019 (2019 का अध्यादेश 4) को निरस्त किया जाता है।
(ब) इस निरसन के बावजूद,
- अध्यादेश के अंतर्गत की गई कोई भी बात या कार्रवाई,
- इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार की गई मानी जाएगी।